नई दिल्ली: हम सब को यह जाननें की हमेशा चाहत होती है
कि हम पिछलें जन्म में क्या थे। जब हम लोगों को कोई परेशानी या काम में कोई
रूकावट होती है तो हम लोग बोल देते है कि पिछलें जन्म के कर्म है।
ज्योतिषों का भी मानना है कि हमारे पूर्व जन्म का हिसाब इस जन्म में होगा
इसी कारण हमें सुख और दुख प्राप्त होता है। ज्योतिषों के अनुसार हम कुण्डली
के माध्यम से इस समय का ही नही पूर्व जन्म और अगलें जन्म का भी पता कर
सकते है।
पूर्व जन्म में क्या थे
कुण्डली में बारहवें भाव में गुरू या केतु शुभ स्थिति में होने पर व्यक्ति मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त करता है। मृत्यु के बाद के विषय में महर्षि पराशर ने कई बातें विस्तार से बताई है। उनके अनुसार लग्न से छठे, सातवें अथवा आठवें भाव में गुरू होने पर व्यक्ति देवलोक में स्थान प्राप्त करता है।
पूर्व जन्म में क्या थे
- ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पूर्व जन्म जाननें के लिए आपको लग्न और लग्नेश की स्थिति को देखना चाहिए। यदि आपकी कुण्डली में गुरु लग्न यानी पहले घर में बैठा है तो यह समझना चाहिए कि पूर्वजन्म में आप किसी विद्वान परिवार में जन्मे थे। यदि लग्नेश मंगल अथवा सूर्य लग्न भाव में बैठा है तो आप पूर्व जन्म में क्षत्रिय रहे होंगे अथवा क्षत्रिय समान आपके कर्म रहे होंगे।
- वैसे ज्योतिषों के मुताबिक आप चाहे तो खुद भी पता लगा सकते हैं कि आप पिछले जन्म में क्या थे। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अगर आपकी कुण्डली में गुरु लग्न यानी पहले घर में बैठा है तो यह समझना चाहिए कि पूर्वजन्म में आप किसी विद्वान परिवार में जन्मे थे।
- बुध लग्नेश है और लग्न भाव में बैठा है तो पूर्व जन्म में आप वैश्य रहे होंगे। शनि और राहु को शुद्र माना जाता है। लग्न स्थान में मकर या कुम्भ राशि हो और शनि या राहु लग्न में बैठा हो तो पूर्व जन्म में आप शुद्र रहे होंगे।
- अगर आपकी जन्मपत्री में गुरु पांचवें, सातवें या नवम घर में बैठा है तो आप पूर्व जन्म में धर्मात्मा, सद्गुणी एवं विवेकशील रहे होंगे। उसके प्रभाव से इस जन्म में भी आप पढ़ने लिखने में होशियार होंगे।
- जिसकी जन्म कुंडली में राहु पहले या सातवें घर में बैठा होता है, उनकी अस्वभाविक मृत्यु हो सकती है। ऐसा व्यक्ति वर्तमान जीवन में चालाक होता है। इनका मन कई बार उलझनों में घिरा रहता है। वैवाहिक जीवन में आपसी तालमेल की कमी रहती है।
- जिन व्यक्तियों का जन्म कर्क लग्न में हुआ है तो व्यक्ति पूर्वजन्म में व्यापारी रहा होगा। ऐसा व्यक्ति चंचल स्वभाव का होता है। छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव के साथ यह जीवन में सफल होते हैं।
- जिनकी कुण्डली में मंगल छठे, सातवें या दसवें स्थान में होता है वह पूर्वजन्म में बहुत ही क्रोधी व्यक्ति रहे होंगे। इन्होंने अपने क्रोध के कारण कई लोगों को कष्ट पहुंचाया होगा। इस जन्म में ऐसे व्यक्तियों वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। चोट और दुर्घटना के कारण कष्ट होता है।
कुण्डली में बारहवें भाव में गुरू या केतु शुभ स्थिति में होने पर व्यक्ति मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त करता है। मृत्यु के बाद के विषय में महर्षि पराशर ने कई बातें विस्तार से बताई है। उनके अनुसार लग्न से छठे, सातवें अथवा आठवें भाव में गुरू होने पर व्यक्ति देवलोक में स्थान प्राप्त करता है।
No comments:
Post a Comment